वीर बालिका नीरजा - भाग १
प्राचीन काल में, सुख और समृद्धि से परिपूर्ण, नलगंदल नाम का एक राज्य था। वहां के राजा, महाराज ऋत्विक एक कुशल प्रशासक थे, और उनके राज्यकाल में प्रजा अत्यंत सुखी थी। अपनी पत्नी महारानी स्वर्णलता, व दो पुत्रियों नीरजा एवं रागेश्वरी के साथ वे आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक वर्ष नलगंदल में एक अज्ञात संक्रमण अज्ञात=Unknown, संक्रमण=Infection का प्रकोप हुआ, और छोटी राजकुमारी रागेश्वरी, जो उस समय केवल दो वर्ष की थी, उस संक्रमण के कारण अचेतन अवस्था अचेतन=Unconscious, अवस्था=State में चली गयी। उस समय महाराज ऋत्विक, राज्यहित में व्यापार को विस्तृत Expand करने हेतु, दक्षिण अफ्रीका के राजा ओडुम्बे से मिलने वहां गए हुए थे। पंद्रह दिवस बीत गए, परन्तु राजवैद्य धन्वन्तरी राजकुमारी को उस अवस्था से नहीं निकाल पाए। अतः महारानी स्वर्णलता ने अपने पिता, फौन्देश के राजा सुयश को बुला भेजा। सेनापति विराग सन्देश लेकर फौन्देश पहुंचे और महाराज सुयश को अपने साथ ले आए। महाराज स्वयं एक प्रतिष्ठित Reputed वैद्य थे। राजकुमारी की अव...